सोमवार, 21 दिसंबर 2015

काव्य यात्रा के दौरान हुआ कवि सम्मलेन

कोई हम नहीं, मगर हम सफर में हैं, बताएं क्या ठिकाना, रह गुजर में हैं। यह कविता पाठ काव्ययात्रा के बैनर तले रविवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित कवि सम्मेलन के दौरान कविन्द्र मिश्र ने किया। वहीं गौतम सुमन ने शाहरूख का मुंह बंद हुआ था, फिर से आमीर बोल गया, डॉ. भूपेन्द्र मंडल ने जुल्मी जीता, जुल्म हार गया, आमोद कुमार मिश्र ने एक मुट्ठी दान दे दो, खोल दो सौभाग्य मेरा, कर्ण भाष्कर ने आदमी जब आदमी को मारकर खा जाएगा कविता पाठ किया। शत्रुघ्न प्रसाद शर्मा ने अंग की महिमा का बखान करते हुए कहा कि पहले सुमिरों अंग देश के जिनकर महिमा कहल न जाए, बाबा मनमौजी कर्ण अंगपूरी ने व्यथा कथा सुनाते हुए कहा कि रूलाती रही रोशनी ने सदा, अंधेरा ही रास आने लगा कविता पाठ किया। इस मौके डॉ. शंभू दयाल खेतान, डॉ. गोपाल कृष्ण भारती, नकुल निराला, रामप्रकाश स्नेहिल आदि मौजूद थे।

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