टीएमबीयू के कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे ने कहा कि जब मानव सभ्यता का विकास हुआ तब से ही गणित का भी विकास हो रहा है। गणित का स्वरूप निराकार है। विश्व में गणित के क्षेत्र में भारत का अभूतपूर्व योगदान है। छान्दोग्य उपनिषद् में 18 विधाएं हैं। इन 18 विधाओं की रानी गणित है। पांच हजार वर्ष पहले वैदिक गणित विकसित स्वरूप में था। इसके प्रमाण इतिहास में देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि गणित विभाग से सबक लेकर और भी विभागों को इस प्रकार के सेमिनार का आयोजन करना चाहिए। वे शनिवार को स्नातकोत्तर गणित विभाग की ओर से दिनकर भवन में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। इससे पूर्व सेमिनार का उद्घाटन टीएमबीयू कुलपति रमाशंकर दुबे, प्रति-कुलपति एके राय, सेंट्रल विश्वविद्यालय रांची के कुलपति नंद कुमार इंदू, बीआरए विवि मुजफ्फरपुर के पूर्व कुलपति असेश्वर यादव, एमएसएच जॉन, अशोक कु दास ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद पीजी संगीत की छात्राओं द्वारा विश्वविद्यालय कुलगीत प्रस्तुत किया गया। सेमिनार में अतिथियों द्वारा सोवेनियर का भी लोकार्पण किया गया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि सेंट्रल विवि रांची के कुलपति नंद कु इंदू ने कहा कि भारत गणित की जननी है। यहां आर्यभट्ट, भाष्काराचार्य, ब्रह्मागुप्त जैसे महान गणितज्ञ हुए। इन्होंने कई महत्वपूर्ण सूत्रों का आविष्कार किया।
वैदिक काल से ही है गणित की महत्ता
प्रति-कुलपति एके राय ने कहा कि गणित भारत की संस्कृति है। वैदिक काल से ही गणित की महत्ता है। आर्यभट्ट ने शून्य का आविष्कार किया। गणित के पहाड़ा को गांव में दोहे के रूप में सिखाया जाता है।
ये थे मुख्य वक्ता
मगध विवि के मनोरंजन कुमार सिंह, प्रॉक्टर डॉ. विलक्षण रविदास, कमला परही, डॉ. रंजना, डॉ. सुनील साहिल, डॉ. शिवशंकर प्रसाद, प्रो. डीएन सिंह, आरके सिंह, प्रो. विनय कुमार सिंह, एके ठाकुर, आरके सिंह, प्रो. रामबचन सिंह, प्रो. रफीक उल हसन, अखिलेस कुमार, किशोर कुमार, रुचि आदि। धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव विजेन्द्र कुमार व मंच संचालन ब्रज भूषण तिवारी ने किया।
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