गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

रबी को भी कहीं डुबो न दे पानी

रूप कुमार, भागलपुर । सरकार एक ओर जहां प्रति हेक्टेयर पांच क्विंटल अधिक अनाज उत्पादन का लक्ष्य बनाकर खेती को प्रोत्साहित कर रही है, वहीं दूसरी ओर सिंचाई संकट से तबाह किसान पटवन के लिए परेशान हो रहे हैं। खरीफ में मानसून की मार के कारण जहां खेतों में नमी नहीं के बराबर बची वहीं गेहूं की बुआई के बाद खेत पानी को तरस रहे हैं। जिले के अधिकांश नलकूप के नाकाम रहने से पटवन की समस्या का पटाक्षेप नहीं हो पा रहा है।

भागलपुर जिले में इस बार गेहूं की कुल बुआई का लक्ष्य 50 हजार हेक्टेयर रखा गया है। जिले में लघु सिचाई योजना का बुरा हाल है। 21 सिंचाई योजनाएं बंद पड़ी हुई है। सबसे बुरा हाल नलकूप विभाग का है। भागलपुर व कहलगांव अनुमंडल के सात प्रखंडों में स्थित कुल 145 नलकूपों में से 96 नलकूप बंद पड़े हैं। सिंचाई का काम मात्र 49 नलकूपों के भरोसे टिका हुआ है। उसमें भी बिजली की कमी से खेतों की प्यास नलकूप बुझा नहीं पा रहा है। किसानों का कहना है कि अगर सभी नलकूप दुरूस्त रहते तो आज सिंचाई की सुविधा काफी हद तक किसानों के लिए मददगार साबित होती। एक ओर जहां बारिश नहीं होने व जलाशयों में पानी नहीं रहने से पटवन की समस्या ने विकराल रूप धारण किए हुए है दूसरी ओर नलकूपों की खराबी से व्यवस्था कोढ़ में खाज जैसी बन गई है। नलकूप विभाग के अनुसार बंद 96 नलकूपों में से विद्युत दोष से 3, यांत्रिक दोष से 2, अन्य दोष से 58 व संयुक्त दोष से 33 नलकूप वर्षो से बंद पड़े हुए हैं।

जगदीशपुर व शाहकुंड प्रखंड का इलाका पथरीला रहने के कारण यहां एक भी नलकूप नहीं लगाया जा सका है। जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह ने बताया कि अगर रबी सीजन में सिंचाई के लिए बंद पड़े नलकूपों की मरम्मत कर उसे चालू नहीं किया गया तो पटवन के अभाव में गेहूं का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। हाल ही में कृषि टास्क फोर्स की बैठक में जिलाधिकारी राहुल सिंह ने भी बंद पड़े नलकूपों को चालू करने का निर्देश दिया है। बीएयू के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मिर्जानुल हक ने बताया कि गेहूं को रबी सीजन में कम से कम चार बार सिंचाई चाहिए। गेहूं को पूरे सीजन में कुल 45 सेमी पानी की जरूरत पड़ती है। पर्याप्त पानी के अभाव में गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गेहूं के बुआई के 25 दिन बाद ही गेहूं को पहली सिंचाई की जरूरत पड़ती है।

नलकूप विभाग के कार्यपालक अभियंता ई. अरविन्द कुमार ने बताया कि खरीफ के सीजन में 37 बंद नलकूपों की मरम्मत के लिए प्रति नलकूप 20 हजार की राशि आई थी। इस राशि से इन नलकूपों की मरम्मत करा उसे चालू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बंद पड़े नलकूपों को चालू करने के लिए विभाग को पत्र लिख कर फंड की मांग की गई है। सूखाड़ के बाद से सरकार ने नलकूप से पटवन को किसानों के लिए फ्री कर दिया है।

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