शनिवार, 25 दिसंबर 2010

उद्योगों से चमकेगा भागलपुर

अशोक अनंत, भागलपुर । 2011 जिला में उद्योगों के लिए नया सवेरा लेकर आएगा। भले ही बरारी स्थिति औद्योगिक प्रांगण में चार दशक पूर्व लगी कई औद्योगिक इकाईयों की फैक्ट्रियों की मशीनों का शोर बंद हो गया हो लेकिन उन फैक्ट्रियों के स्थान पर अब नयी फैक्ट्रिया लगाने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। इसमें अहम् भूमिका बिहार औद्योगिक विकास प्राधिकार की है।

देखा जाय तो बरारी स्थित औद्योगिक प्रांगण में लगी तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा छोटी-बड़ी इकाईयां धीरे-धीरे बंद हो गयी। बंद होने के कारणों में बैंक द्वारा असहयोग रवैया भी एक कारण है तो दूसरा विधि व्यवस्था में आयी गिरावट अथवा राज्य सरकार द्वारा उपेक्षा नीति आदि भी कारणों में शामिल हैं। वहीं शहर में स्थित स्पन सिल्क मिल और स्पीनिंग मिल वर्षो पहले बंद हो गए। यहां कार्यरत कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है। इन मिलों को पुन: चालू करवाने के लिए भले ही राजनैतिक दलों ने आश्वासन दिए हो लेकिन इस दिशा में अबतक कोई भी पहल नहीं हो पायी।

अब बरारी स्थित औद्योगिक प्रांगण में नए सिरे से उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं तो कहलगांव में नए उद्योगों के स्थापित करने की नई सूची है। जो बिहार औद्योगिक विकास प्राधिकार (बियाडा) के सौजन्य से फलीभूत होगा।

इकाईयां जो बंद हुई

बरारी स्थित औद्योगिक प्रांगण एवं निजी क्षेत्र में स्थापित माडर्न फूड इंडस्ट्रीज, काशी इस्पात, अरुण केमिकल, बिहार स्पन सिल्क मिल, विक्रमशिला सहकारिता सूत मिल, शिव शंकर फ्लावर मिल, शिवगौरी फ्लावर मिल, रामवंशी सिल्क मिल, उमा शंकर मिल सहित कई अन्य इकाईयां बंद हो गयी।

औद्योगिक प्रांगण में अब स्थापित की जा रही नई इकाईयां

बरारी स्थित औद्योगिक प्रागंण में बियाडा के सहयोग से अब तेजी से नई इकाईयों को स्थापित करने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। बियाडा के सहायक विकास पदाधिकारी राहुल कुमार के मुताबिक वर्ष 2006-7 से बियाडा के माध्यम से उद्योग लगाने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जाने लगा है। इस क्रम में बरारी स्थित 51.3 एकड़ जमीन में 90 इकाईयां स्थापित की गयी हैं। इनमें से 23 इकाईयां उत्पादन में हैं तथा 50 निर्माणाधीन हैं। 17 इकाईयों के लिए जमीन आवंटित की जा रही है। उक्त प्रांगण में जोधानी फ्लावर मिल, मिनरल वाटर, रंग, तेल, प्लास्टिक का थैला, आईसक्रीम, टेक्सटाइल, पशु चारा आदि इकाईयां शामिल हैं।

कहलगांव में भी कई इकाईयां स्थापित होगी

राहुल कुमार के मुताबिक कहलगांव में भी हैंडलूम पार्क सहित कई इकाईयां स्थापित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी हैं। उन्होंने बताया कि कहलगांव में बियाडा की 1020 एकड़ जमीन है। इसमें 515 एकड़ जमीन इकाईयों के स्थापित करने के लिए आवंटित की जा चुकी हैं। यहां अंग प्रदेश हैंडलूम पार्क, सीमेंट, बिस्कुट, चावल, फूड पार्क, एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन आदि इकाईयां स्थापित की जाएंगी।

उपेक्षा नीति के कारण बंद हुई इकाईयां

इधर इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकूटधारी अग्रवाल का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा स्थापित बृहत औद्योगिक प्रांगण में पिछले शताब्दी के अंतिम चरण में निजी तथा सरकारी क्षेत्र की कई औद्योगिक इकाईयां स्थापित हुई थीं। भागलपुर क्षेत्र के कई सिल्क उत्पादक और निर्यातक गिरती विधि व्यवस्था और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में इस क्षेत्र से पलायन कर अन्य राज्यों में चले गए। वहीं बैंक के असहयोग करने, सरकार की उपेक्षा एवं क्षेत्रीय औद्योगिक विकास प्राधिकार द्वारा उद्यमियों की समस्याओं के निदान की दिशा में अपनायी जा रही टालमटोल नीति तथा बिजली आपूर्ति की कमी आदि समस्याओं के कारण इकाईयां बंद हो गयी।

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