रविवार, 7 नवंबर 2010

पशुओं में गर्भपात की बढ़ी बीमारी

बगड़ी के किसान सुधीर साह ने इस बार गोव‌र्द्धन पूजा नहीं किया। भला करें भी तो किस श्रद्धा से। आठ लीटर दूध देने वाली उनकी गाय का असमय गर्भपात जो हो गया। उनकी गाय दो माह में बच्चा देती। लेकिन सातवें माह में ही बच्चा पेट में ही मर गया। दो से तीन हजार रुपये तो पेट में मरे बच्चे को निकालने में खर्च हो गए। इसके बावजूद वह इस बात को लेकर परेशान हैं कि अब तक जर गर्भाशय के अंदर ही है। इस कारण गाय ने खाना-पीना कम कर दिया है। सुधीर अब दवा दुकानदारों से वैसी दवा मांग रहा है जिससे गाय को दूध उतर आए। ऐसी परेशानी सिर्फ सुधीर की नहीं है बल्कि जिले के दर्जनों वैसे पशुपालक हैं जिन्हें पशुओं के गर्भपात से जोर का झटका लग रहा है। तेलघी के पूर्व उपमुखिया सह किसान विजय सिंह की गाय का भी गर्भपात हो गया। इस साल गर्भपात की बीमारी बड़ी तेजी से बढ़ी है। पशु अस्पतालों पर पशुपालकों का विश्र्वास नहीं रह गया है।

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