सोमवार, 1 नवंबर 2010

जैसा करम करोगे, वैसा फल देगा मतदान

सोमवार यानी आज महापर्व चुनाव का दिन। दोपहर के दो बजे नाथनगर सीटीएस चौक पर सन्नाटा है। यहां भारी सुरक्षा व्यवस्था है। बीच-बीच में गश्ती गाड़ी खामोशी को तोड़ देती है। इसी चौक पर एक चर्चित मिठाई की दुकान है। यहां नारायण साह मिठाई पर बैठी मक्खियों को उड़ा रहे हैं और गुनगुना रहे हैं-'जैसा करम करोगे, वैसा फल देगा मतदान। यह है..।' मैं इस गाने का निहितार्थ पूछता हूं। वह गद्दी पर बैठे मालिक की ओर इशारा कर देता है। मिठाई दुकानदार परिचय पूछने के बाद बताते हैं कि नारायण व्यवस्था से दुखी हैं और सुबह से ही गाना गा रहे हैं। इसी तरह का गाना कई मतदाताओं ने गाया है सो परिणाम क्या होगा, यह कहा नहीं जा सकता?

शहर के हर गली-मोहल्लों में बस एक ही चर्चा-कैसा लग रहा है? कौन निकलेगा? जवाब संदेह उपजाने वाली सुन चिंता की लकीरें और भी गहरी हो जाती हैं। सबसे ज्यादा चिंता तो उन्हें मतदान के घटते प्रतिशत को लेकर है। फिर एक बहस-मतदाता क्यों नहीं घरों से निकल रहे? मिरजानहाट में अजीत झा और सुनील बिहारी से मुलाकात होती है। बताते हैं-'देखिए राजनीतिक दलों के करम लोगों को रास नहीं आती। जो नाराज हैं, वह दूसरों को भी वोट के काबिल नहीं समझते। ऐसे में कहां से बढ़ेगा मतों का प्रतिशत?' इसी बीच लोजपा प्रत्याशी डा.एनके यादव और मेयर वीणा यादव पहुंचती हैं। डाक्टर साहब अपने पोलिंग एजेंट से पूछते हैं-कैसा चल रहा है? पोलिंग एजेंट के सकारात्मक जवाब से वे वाहन पर सवार हो आगे बढ़ जाते हैं। यहीं रामाशीष मंडल से मुलाकात होती है। वे बताते हैं कि मिला-जुला चल रहा है। इस बार वे किनारा लग सकते हैं।

मैं गुरहट्टा चौक पर हूं। सुरक्षा व्यवस्था ऐसी कि परिंदा भी पर नहीं मार सके। दाहिनी ओर एक दर्जन से अधिक मोटरसाइकिलें खड़ी हैं, जिसे सुरक्षा कर्मियों ने जब्त कर लिया है। मुझे सैप जवान रूकने का इशारा कर रहे हैं। संतुष्ट होने पर आगे बढ़ने की सहमति प्रदान करते हैं। इतने में भाजपा प्रत्याशी अश्रि्वनी कुमार चौबे पहुंच जाते हैं। सड़क किनारे खड़े कार्यकर्ताओं से इशारों में पूछते हैं-'वो वोट बंट रहा है या नहीं?' जवाब हां में मिलने पर चेहरे पर तनाव कुछ कम होता है। फिर वे काजीचक की ओर मुड़ जाते हैं। सिकंदरपुर के पास संतोष साई बताते हैं-'कल शाम तक मिरजानहाट का इलाका उनके लिए गड़बड़ था अब ठीक है। जीतेंगे तो वही। बस अभी तेल देखिए और तेल का धार देखिए।'

रेलवे स्टेशन और मुख्य बाजार का इलाका सुनसान है। दुकानें बंद पड़ी हैं। अघोषित क‌र्फ्यू का नजारा। वेरायटी चौक पर सड़क किनारे इक्के-दुक्के लोग खड़े हैं। वहां भी चुनावी चर्चा। एक ने कहा-'ठीक है कि लोग कम निकले लेकिन जो गिरा सौलिडे गिरा। ' दूसरे ने कहा-'बौरायल जैसन बात नहीं करिए। उनको अभिए तो बुझाइए रहा है। लगुआ-भगुआ को पांच साल सटाएल रखे का। देखिएगा 'उनको' एक मौका इस बार मिल जाएगा।' तीसरे ने कहा-'अरे मालिक, उनको कम कैसे आंक लिए। वूहौ खूब पैसा खर्च कयैले हैं। देखिएगा केतना वोट लाते हैं। कौन केतना बांटा है, लगाइएगा बाजी..।' पहले ने बीच-बचाव करते हुए कहा-'देखिए पांच बजने को है। कुछ देर में मतदान खत्म हो जाएगा। राजनीतिक टीकाकारों को विश्लेषण करने दीजिए। 24 तारीख को दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। आपस में लड़ने से क्या फायदा।' मतदान का समय खत्म हो चुका है। मतदान कर्मी ईवीएम को जल्दी-जल्दी सील करने में जुट गए हैं ताकि जल्द से मशीन को जमा कर महापर्व की थकान मिटा सकें।दिनकर

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