बुधवार, 18 अगस्त 2010

गांवों के साथ-साथ किसानों के दिन भी बहुरेंगे

रूप कुमार, भागलपुर : अब गांवों के साथ-साथ किसानों के सपने भी साकार होंगे। इसका बीड़ा उठाया है बिहार कृषि विश्र्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मेवालाल चौधरी ने। वे खेती के साथ किसानों के भी कायाकल्प में जुट गए हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र ने छह गांवों को खेती में मॉडल गांव बनाने की योजना बनाई है। इनमें सुल्तानगंज प्रखंड का तिलकपुर, गोपालपुर प्रखंड का धरहरा, नाथनगर प्रखंड का रन्नुचक, सन्हौला प्रखंड का महेशपुर व शाहकुंड प्रखंड का अम्बा गांव शामिल है। कुलपति ने खुद सबौर प्रखंड के ममलखा गांव से खेती का क्रांतिकारी बिगुल फूंक दिया है। विश्र्वविद्यालय का प्रसार विभाग व कृषि विज्ञान केन्द्र संयुक्त रूप से इन गांवों का अध्ययन करेंगे। पंचायत व पैक्स के जरिए किसानों का एक वृहद नेटवर्क तैयार किया जाएगा। कुलपति डॉ. चौधरी ने बताया कि साल भर बाद इन गांवों के अलावा विश्र्वविद्यालय के 11 किलोमीटर की परिधि में आने वाले इलाकों की सूरत भी बदली-बदली नजर आएगी। योजना को मूर्त रूप देने के लिए गैर सरकारी संस्थाओं की मदद ली जाएगी। इसके माध्यम से दो एनजीओ का चयन किया जाएगा, जो खेती की नई तकनीक को किसानों तक पहुंचायेंगे। पैक्स व पंचायत के माध्यम से किसानों को बीज उत्पादन से लेकर मधुमक्खी पालन व मशरूम उत्पादन तक से जोड़ा जाएगा। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी खेती की तकनीक से जोड़कर उन्हें और संबल बनाया जाएगा। कृषि विज्ञान केन्द्र सबौर के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि जिन गांवों को कृषि विज्ञान केन्द्र ने गोद लिया है, वहां के किसानों को प्रशिक्षण, अग्रिम पंक्ति का प्रत्यक्षण व सीड्स प्रोडक्शन प्रोग्राम से जोड़ कर खेती को नया रूप दिया जाएगा। इस क्रम में विगत 15 अगस्त को कुलपति ने ममलखा गांव में करीब 300 किसानों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं सुनी। उन्होंने किसानों की मांगों पर गौर फरमाते हुए 500 फलदार पौधे मुहैया कराने का निर्देश भी दिया। जगदीशपुर का भवानीपुर गांव बनेगा जैविक ग्राम भागलपुर : कृषि विज्ञान केन्द्र सबौर ने जगदीशपुर प्रखंड के भवानीपुर गांव को जैविक ग्राम बनाने का निर्णय लिया है। जैविक ग्राम बनाने का मकसद इस प्रखंड में प्रचुर मात्रा में उत्पादित धान की फसल को और मजबूत बनाना है। कृषि विज्ञान केन्द्र के समन्वयक डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि मौसम में परिवर्तन होने व सुखाड़ के कारण कुछ समस्याएं आई हैं, जिन्हें जल्द सुलझा लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कृषि विभाग, पटना के निर्देश पर दो साल पूर्व जिला कृषि विभाग ने सबौर प्रखंड के छोटी इब्राहिमपुर गांव को जैविक ग्राम बनाने का निर्णय लिया था, लेकिन वह विभागीय फाइलों में दबकर रह गया।

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