शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

आज शहीद हुए थे नवगछिया के सपूत मुंशी साह

महात्मा गांधी के आह्वान पर देश के लाखों युवा सिर पर कफन बांध कर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। इसी क्रम में नवगछिया के युवाओं एवं स्वतंत्रता सेनानियों का नेतृत्व कर रहे थे महान स्वतंत्रता सेनानी पार्थ ब्रह्मचारी एवं माया देवी। नौ अगस्त 1942 को ये आजादी के दीवाने अपने हाथों में तिरंगा लिये नवगछिया स्टेशन की ओर बढ़े जा रहे थे। अचानक अंग्रेजों की फौज ने ताबड़तोड़ लाठी चलाते हुए गोलियां चलानी शुरू कर दी। जिसमें से एक गोली नवगछिया के वीर सपूत मुंशी साह के सीने में आ लगी। जिन्हें अविलंब भागलपुर के राजकीय अस्पताल पहंुचाया गया जहां जिन्दगी और मौत से संघर्ष करते-करते अंतत: 13 अगस्त 1942 की संध्या छह बजे नवगछिया के वीर सपूत मंुशी साह भारत माता की आजादी के लिए शहीद हो गये। जिनका नाम अमर शहीदों की सूची में भी अंकित है। जिनकी शहादत पर भागलपुर में विशाल जुलूस भी निकाली गयी थी। गंगा पार के इस प्रथम शहीद का जन्म नवगछिया बाजार के वार्ड नंबर 14 (पुराना वार्ड नम्बर-3) में 1922 में हुआ था। इस सच्चे सपूत के पिता का नाम परमेश्वर साह है। इस सपूत ने माता आशा देवी की कोख से जन्म लेकर आजादी की शहादत दी थी। अपने तीन भाईयों में मंझले भाई थे मुंशी साह। उनमें छात्र जीवन में ही आजादी का जोश कूट-कूट कर भरा था। जिसे पत्‍‌नी लक्ष्मी देवी का प्रेम जाल अपने में नहंी फंसा पाया। नवगछिया के इस अमर शहीद की याद में महान स्वतंत्रता सेनानी पार्थ ब्रह्मचारी की अध्यक्षता में नौ जनवरी 1946 को एक पुस्तकालय की नींव पड़ी। जो अब तक नवगछिया शहर के बीच शहीद टोला में अमर शहीद मंुशी पुस्तकालय के नाम से अवस्थित है। लेकिन इस धरोहर के अलावे अब तक भारत सरकार या बिहार सरकार द्वारा इस महान सपूत का एक भी स्मारक कहीं नहीं बन सका है। प्रति वर्ष 13 अगस्त को इसी पुस्तकालय प्रांगण में समाज के लोगों द्वारा इस सच्चे सपूत को श्रद्धा सुमन अर्पित किया जा रहा है।

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