मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

नवगछिया का लाइफ लाइन है विजयघाट पीपा पुल

राजेश कानोडिया
बाजार को इलाके का दर्पण कहा जाता है। नवगछिया भी एक बाजार है। जहां के अधिकांश ग्राहक ग्रामीण है। हालांकि नारायणपुर से लेकर कुर्सेला तक तथा गंगा के उत्तरी किनारे से लेकर कोसी पार से भी लोग यहां खरीदारी को आते हैं, जिनके आवागमन का एक मात्र रास्ता विजयघाट पीपा पुल से होकर गुजरता है। जब कभी भी कोसी पार से आने-जाने का रास्ता बिगड़ता है तो बाजार में विरानगी छा जाती है और व्यवसायी चिंतित हो उठते हैं। सो, विजय घाट को नवगछिया का लाइफ लाइन माना जाता है। दशकों पूर्व की लगातार मांग व आमरण अनशन के बाद नब्बे के दशक में विजय घाट पर पीपा पुल का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था, जिसके लिए ढ़ोललबज्जा के नागेन्द्र सरकार ने 23 जनवरी 1987 तथा 1989 को आमरण अनशन भी किया था। इसके पश्चात 1992 में नागेन्द्र सरकार की पुत्री नन्दनी सरकार ने भी आमरण अनशन किया था। तब जाकर 2002 में पीपा पुल को चालू किया गया। इसके बाद लोगों को राहत जरूर मिली, मगर आधी-अधूरी। कोसी नदी में पानी बढ़ने के कारण साल में छह महीने पीपा पुल खोल दिया जाता है। इस कारण लोगों को फिर पुरानी सवारी (नाव) करने को मजबूर होना पड़ता है। इसको लेकर लाचार और बेबस यहां की जनता पक्का पुल की मांग को लेकर संत योगेश ज्ञान स्वरूप तपस्वी के नेतृत्व में 6 फरवरी 2004 को अनशन पर बैठे। अनशन से कोई हल न निकलता देख जनता का क्रोध भड़का और एक मार्च 2004 को नवगछिया बाजार को पूर्णत : बंद कर दिया गया। लोग रेल पटरी पर लेट गए, राष्ट्रीय उच्च पथ को घंटों जाम कर दिया गया। तब जाम हटवाने के क्रम में भागलपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक चोटिल भी हुए थे। तब से अब तक यानी छह साल के दौरान न जाने कितने अधिकारी और राजनेताओं ने विजय घाट पर पक्का पुल बनवाने की कई बार घोषणा की मगर नतीजा सिफर ही रहा। एक बार फिर आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।

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