रविवार, 9 जनवरी 2011

नहीं मिल रहा ठंड में ठौर

कड़ाके की ठंड ने सब कुछ ठंडा कर दिया है। कल तक सैंडिस कम्पाउंड में सुबह-शाम घूमने आने वालों की संख्या अब अंगुलियों पर गिनी जाने लगी है। दुकानदारों का व्यवसाय भी मंदा हो गया है। बच्चों ने घर से बाहर निकलकर खेलना छोड़ दिया है। वहीं बाजारों में पहले जैसी रौनक नहीं रही। कुल मिलाकर ठंड के संग पछुआ हवा व धुंध की मार ने सभी को बेजार कर दिया है। दस बजे के बाद आकाश से पानी की हल्की बूंदें टपकने लगती है। घने कोहरे के कारण पास की चीज भी दूर मालूम पड़ती है। शनिवार की रात शहर में कयामत की रात का अहसास करा गई। विद्युत आपूर्ति ठप रहने से पूरा शहर में अंधेरे में डूबा रहा।

मौसमी वेदशाला सबौर के अनुसार रविवार को न्यूनतम तापमान 5.1 डिग्री व अधिकतम तापमान 15.2 डिग्री दर्ज किया गया है। मौसम वैज्ञानिक प्रो. वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि अधिकतम तापमान में शनिवार के मुकाबले छह डिग्री की कमी दर्ज की गई है। अधिकतम तापमान में कमी होने से ठंड और बढ़ जाती है। ठंड के चलते आम जिंदगी लाचार हो गई है। अगले एक सप्ताह तक ठंड में किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। हालांकि रविवार की दोपहर कुछ देर के लिए निकली धूप ने लोगों को थोड़ी राहत जरूर दी। धूप में बदन को सेंकने के लिए लोग छतों पर लेटे रहे।

खुली हवा में पशु भी लाचार

भागलपुर : ठंड की मार से न सिर्फ इंसान बल्कि जानवर भी परेशान हैं। आलम है कि बड़ी संख्या में पशु ठंड के कारण निमोनिया नामक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। निमोनिया के कारण पशु काफी कमजोर हो रहे हैं। अगर पशु का इलाज तुरंत नहीं कराया गया तो उसकी जान भी जा सकती है। इसके अलावा अन्य बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार ने ठंड में पशुओं में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए एक हेल्प नंबर जारी किया है जिसके जरिए पशुपालक बीमारी की रोकथाम व उपचार को लेकर महत्वपूर्ण सलाह प्राप्त कर सकते हैं। पशुपालक 9431046362 पर कॉल कर मुफ्त में पशुओं से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पशु चिकित्सक डॉ. राजेश ने बताया कि खुली हवा में अभी पशु को रखना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में पशुओं को हवा से बचाने के लिए पशुघर को चारों ओर से घेर देना चाहिए। इसके अलावा ठंड में दूध की मात्रा को बरकरार रखने के लिए पशुओं को सरसों की खल्ली देना चाहिए। ठंड के मौसम में सर्दी से पशुओं को बचाने के लिए उनके खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

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